राघव भैया बताते हैं कि Tier 1 कॉलेज के अच्छे प्लेसमेंट वाले छात्रों को GATE की ज़रूरत नहीं। लेकिन कम प्लेसमेंट वाले Tier 2/3 कॉलेज या कोर ब्रांच के छात्रों के लिए GATE या ऑफ-कैंपस प्लेसमेंट विकल्प हैं। फ़ैसला आपकी स्थिति और जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है। GATE में 2 साल लगते हैं, लेकिन बेहतर प्लेसमेंट मिल सकता है। अच्छा पैकेज मिलने पर 2 साल के नुकसान और अनुभव की कमी पर भी विचार करें। टियर 1 कॉलेज के स्टूडेंट्स के लिए: अगर अच्छी ब्रांच (जैसे कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स) में हो और ऑन-कैंपस प्लेसमेंट अच्छा हो, तो गेट की तैयारी की ज़रूरत नहीं। सिर्फ़ कोर ब्रांच (मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, सिविल) वाले और जिनका करियर उसी में बनाना है, उनके लिए गेट एक ऑप्शन हो सकता है अगर प्लेसमेंट के ऑप्शन कम हों। टियर 2 और 3 कॉलेज के स्टूडेंट्स के लिए: अगर कंप्यूटर साइंस में हो और प्लेसमेंट संतोषजनक नहीं है, तो गेट (CSE) एक अच्छा विकल्प है, खासकर अगर अच्छी आईआईटी से एमटेक करना चाहते हो। लेकिन ऑफ-कैंपस प्लेसमेंट की तैयारी भी एक विकल्प है, जिसमें 2 साल बच सकते हैं। एमटेक करने के कारण: ज़्यादातर लोग जॉब के लिए एमटेक करते हैं, रिसर्च बहुत कम लोग करते हैं। टियर 3 कॉलेज से बीटेक करने वालों के लिए आईआईटी से एमटेक करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। गेट CSE vs. प्लेसमेंट: गेट CSE की तैयारी में कुछ कॉमन सब्जेक्ट्स प्लेसमेंट की तैयारी से मिलते हैं (जैसे DSA)। लेकिन गेट में थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल एप्लीकेशन भी ज़रूरी है। अन्य विकल्प: अगर कोडिंग में इंटरेस्ट नहीं है, तो नॉन-टेक क्षेत्रों में भी अच्छे पैकेज मिल सकते हैं। रिस्क vs. समय: गेट में ज़्यादा रिस्क है लेकिन अच्छी जॉब की संभावना भी बढ़ जाती है। प्लेसमेंट में कम रिस्क है लेकिन 2 साल ज़्यादा लग सकते हैं। पहले से ही अच्छा पैकेज मिल रहा हो तो 2 साल और वेट करने के बजाय उस पैकेज से काम शुरू करके आगे बढ़ना भी एक विकल्प है।